सोशल मीडिया क्रांति और मानव जीवन

वक्त की समानता एक जैसी नही होती है। पीछले कई सालो में दुनियां आधुनिक तकनीक के मामले में काफी तरक्की कर चूका है जो मानव जीवन को आसान और बेहतर बनाता है। हम सभी जानते हैं कि विज्ञान और आविष्कार का साकारात्मक पहलु है तो उसका नकारात्मक पहलू भी है। कुछ ऐसा ही सोशल मीडिया के साथ भी है। सोशल मीडिया एक भ्रम जाल की तरह है, जिसमें सभी ऐसे उलझे हैं कि मनुष्य का आध्यात्मिक जीवन आबाद भी है और बर्बाद भी है। सोशल मीडिया लोगों के आध्यात्मिक जीवन पर भी प्रभाव डालेगा, यह किसी ने नहीं सोचा था लेकिन ऐसा हो रहा है। सोशल मीडिया दुनियां को एक नई दिशा देने का काम किया इसमें कोई संदेह नही, साथ ही इसका मानव जीवन पर कई तरह का प्रभाव भी पडा है। अच्छा और बुरा दोनो असर देखने को मिलता है। सोशल मीडिया जहां एक तरफ दुनियां भर के लोगों को जोड़ने और बेहतर मार्ग देने का काम किया है, वही मनुष्य जीवन के बुनियादी संस्कारो व मर्यादाओं को भी भंग करने का कारण बना है।

संस्कार व मर्यादा:
मनुष्य जीवन पाना और जीवन को तरक्की के पथ पर ले जाना एक बात है, पर मनुष्य के संस्कार व मर्यादा उसके जीवन को प्राकृतिक संरचनाओं में श्रेष्ठ और रमणीय बनाता है। संस्कारों के द्वारा मनुष्य अपनी सहज प्रवृतियों का पूर्ण विकास करके अपना और समाज दोनों का कल्याण करता है। संस्कार इस जीवन में ही मनुष्य को पवित्र नहीं बनाते है, उसके पारलौकिक जीवन को भी पवित्र बनाते है। मर्यादा सिर्फ व्यक्ति के निजी जीवन को ही नही बल्कि उसके पारिवारिक और सामाजिक जीवन को भी बेहतर बनाते है। मनुष्य शरीर कितना भी सुन्दर क्यों ना हो यदि वह संस्कारहीन व मर्यादाहीन है तो उसकी सुन्दरता किसी काम की नही। शरीर की सुंदरता आकर्षण का वजह बन सकता है परन्तु भावना और चरित्र मनुष्य को पूजनीय योग्य बनाता है। व्यक्ति के उम्र के साथ शरीर की सुंदरता ढल जाएगी, परन्तु भावना और चरित्र शरीर के नष्ट होने तक उस व्यक्ति के सुंदरता को कायम रखता है। मनुष्य जीवन की वास्तविक सुन्दरता के लिए व्यक्ति को संस्कारवान व मर्यादित होना आवश्यक है।

मनुष्य जीवन में सोशल मीडिया के प्रभावों को संक्षिप्त में समझते है।

सकारात्मक प्रभाव:
दुनिया भर के लोगों से जुड़ने और उनकी संस्कृति को जानने में मदत मिलता है। समसामयिक घटनाओं के बारे में जानकारी मिलना और उसके प्रभावों को समझने, जुडने तथा समाधान में मदत मिलता है। सांस्कृतिक, रचनात्मक कार्य, व्यवसाय, दुःख–सुख रहन–सहन, इत्यादि से जुड़ने तथा समर्थन और प्रोत्साहन के साथ साथ नई चीजें सीखने को मिलता है। राजनीतिक मुद्दों पर आंदोलन बढ़ना इत्यादि जो सोशल मीडिया के साकारात्मक प्रभाव है।

नकारात्मक प्रभाव:
साइबर बुलिंग बढ़ना, जैसे किसी व्यक्ति को जान-बूझकर परेशान करना, उसका मज़ाक उड़ाना या उसके साथ दुर्व्यवहार करना इत्यादि शामिल है जो कि व्यक्तिगत बदमाशी से कही ज्यादा हानिकारक और खतरनाक है। फ़ेक न्यूज़ और हेट स्पीच फैलना का बडा माध्यम है जो की सामाजिक जीवन में इसका प्रभाव देखने को मिलता है। गोपनीयता की कमी होने से निजी डेटा चोरी का खतरा बढ़ना। साइबर अपराधों का खतरा बढ़ना। ज़्यादा समय बिताने से अवसाद, भावनात्मक समर्थन में कमी, आत्म-सम्मान कम होना। रिश्ते सतही हो जाना जो एक मजबूत रिश्ते के लिए आवश्यक विश्वास की नींव को नष्ट कर रहा है।

सोशल मीडिया मनुष्य जीवन में सहजता और तरक्की का माध्यम है, पर इसकी दुरुपियोगिता गलत नैतिकता को जन्म देकर सामाजिक जीवन को प्रभावित  कर रहा है। जिससे कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे है। व्यक्ति स्वयं में दूरदर्शिता का सामर्थ्य रखता है। अच्छे बूरे चीजों को समझने में सामर्थवान है। विचारणीय बात यह की हम अपने जीवन और भविष्य को कौन सी दिशा दे रहे है? प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि किसी भी अविष्कार का उपयोग करने की एक मर्यादा निर्धारित करना चाहिए ताकि सामाजिक समरसता और मनुष्य के मूल जीवन के बुनियादी नींव का अस्तित्व सदैव के लिए बना रहे।

जितेन्द्र कुमार गुप्ता
भारतीय फिल्म मेकर

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